दर्द भरी शायरी हिंदी - Dard bhari shayari hindi
बात वफ़ा की होती तो कभी ना हारते,
बात नसीब की थी कुछ कर ना सके
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ना जाने किस बात पे वो नाराज हैं हमसे,
ख्वाबों मे भी मिलता हूँ तो बात नही करती
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तुम लाना दर्द, हम खुशी लायेंगे,
तुम्हारी हर वेवफाई को वफा से निभायेंगे
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जख़्म इतना गहरा हैं इज़हार क्या करें।
हम ख़ुद निशां बन गये ओरो का क्या करें।
मर गए हम मगर खुली रही आँखे हमरी।
क्योंकि हमारी आँखों को उनका इंतेज़ार हैं
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टूटे हुए काँच की तरह
चकनाचूर हो गए,
किसी को लग ना जाये
इसलिए सबसे दूर हो गए
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सोचा था तड़पायेंगे हम उन्हें,
किसी और का नाम लेके जलायेगें उन्हें,
फिर सोचा मैंने उन्हें तड़पाके दर्द मुझको ही होगा,
तो फिर भला किस तरह सताए हम उन्हें
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हमें नही आती है साहब किसी और की बुराई
क्योकि हमें तो दुनिया वालो ने,
पहले से ही बदनाम किया हुआ है
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बेवफाई उसकी दिल से मिटा के आया हूँ,
ख़त भी उसके पानी में बहा के आया हूँ,
कोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों को,
इसलिए पानी में भी आग लगा कर आया हूँ
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आँखें थक गई है आसमान को देखते देखते
पर वो तारा नहीं टूटता ,जिसे देखकर तुम्हें मांग लूँ
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उस मोड़ से शुरू करनी है फिर से जिंदगी,
जहा सारा शहर अपना था और तुम अजनबी
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इश्क सभी को जीना सिखा देता है,
वफा के नाम पर मरना सिखा देता है,
इश्क नही किया तो करके देखो,
जालिम हर दर्द सहना सिखा देता है
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उल्फत में कभि यह हाल होता है,
आंखे हस्ती है मगर दील रोता है,
मानते है हम जिससे मंजिल अपनी,
हमसफ़र उसका कोई और होता है
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अच्छे होते हैं वो लोग जो आकर चले जाते हैं,
थोड़ा ठहर कर जाने वाले बहुत रुलाते हैं
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मैं बैठूंगा जरूर महफ़िल में मगर पियूँगा नहीं,
क्योंकि मेरा गम मिटा दे इतनी शराब की औकात नहीं
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दिल मे आरजू के दिये जलते रहेगे,
आँखों से मोती निकलते रहेगे,
तुम शमा बन कर दिल में रोशनी करो,
हम मोम की तरह पिघलते रहेंगे
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जिसको आज मुझमे हजारो गलतिया नजर आती हैं,
कभी उसी ने कहा था तुम जैसे भी हो मेरे हो।
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सोचा था तड़पायेंगे हम उन्हें,
किसी और का नाम लेके जलायेगें उन्हें,
फिर सोचा मैंने उन्हें तड़पाके दर्द मुझको ही होगा,
तो फिर भला किस तरह सताए हम उन्हें
बात नसीब की थी कुछ कर ना सके
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ना जाने किस बात पे वो नाराज हैं हमसे,
ख्वाबों मे भी मिलता हूँ तो बात नही करती
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तुम लाना दर्द, हम खुशी लायेंगे,
तुम्हारी हर वेवफाई को वफा से निभायेंगे
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जख़्म इतना गहरा हैं इज़हार क्या करें।
हम ख़ुद निशां बन गये ओरो का क्या करें।
मर गए हम मगर खुली रही आँखे हमरी।
क्योंकि हमारी आँखों को उनका इंतेज़ार हैं
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टूटे हुए काँच की तरह
चकनाचूर हो गए,
किसी को लग ना जाये
इसलिए सबसे दूर हो गए
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सोचा था तड़पायेंगे हम उन्हें,
किसी और का नाम लेके जलायेगें उन्हें,
फिर सोचा मैंने उन्हें तड़पाके दर्द मुझको ही होगा,
तो फिर भला किस तरह सताए हम उन्हें
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हमें नही आती है साहब किसी और की बुराई
क्योकि हमें तो दुनिया वालो ने,
पहले से ही बदनाम किया हुआ है
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बेवफाई उसकी दिल से मिटा के आया हूँ,
ख़त भी उसके पानी में बहा के आया हूँ,
कोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों को,
इसलिए पानी में भी आग लगा कर आया हूँ
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आँखें थक गई है आसमान को देखते देखते
पर वो तारा नहीं टूटता ,जिसे देखकर तुम्हें मांग लूँ
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उस मोड़ से शुरू करनी है फिर से जिंदगी,
जहा सारा शहर अपना था और तुम अजनबी
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इश्क सभी को जीना सिखा देता है,
वफा के नाम पर मरना सिखा देता है,
इश्क नही किया तो करके देखो,
जालिम हर दर्द सहना सिखा देता है
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उल्फत में कभि यह हाल होता है,
आंखे हस्ती है मगर दील रोता है,
मानते है हम जिससे मंजिल अपनी,
हमसफ़र उसका कोई और होता है
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अच्छे होते हैं वो लोग जो आकर चले जाते हैं,
थोड़ा ठहर कर जाने वाले बहुत रुलाते हैं
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मैं बैठूंगा जरूर महफ़िल में मगर पियूँगा नहीं,
क्योंकि मेरा गम मिटा दे इतनी शराब की औकात नहीं
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दिल मे आरजू के दिये जलते रहेगे,
आँखों से मोती निकलते रहेगे,
तुम शमा बन कर दिल में रोशनी करो,
हम मोम की तरह पिघलते रहेंगे
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जिसको आज मुझमे हजारो गलतिया नजर आती हैं,
कभी उसी ने कहा था तुम जैसे भी हो मेरे हो।
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सोचा था तड़पायेंगे हम उन्हें,
किसी और का नाम लेके जलायेगें उन्हें,
फिर सोचा मैंने उन्हें तड़पाके दर्द मुझको ही होगा,
तो फिर भला किस तरह सताए हम उन्हें