Best shayari
ना जाने किस बात पे वो नाराज हैं हमसे,
ख्वाबों मे भी मिलता हूँ तो बात नही करती।
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अपनी कलम से दिल से दिल तक की बात करते हो
सीधे सीधे कह क्यों नहीं देते हम से प्यार करते हो।
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सोचा था तड़पायेंगे हम उन्हें,
किसी और का नाम लेके जलायेगें उन्हें,
फिर सोचा मैंने उन्हें तड़पाके दर्द मुझको ही होगा,
तो फिर भला किस तरह सताए हम उन्हें।
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नहीं है अब कोई जुस्तजू इस दिल में ए सनम,
सोचा था तड़पायेंगे हम उन्हें,
किसी और का नाम लेके जलायेगें उन्हें,
फिर सोचा मैंने उन्हें तड़पाके दर्द मुझको ही होगा,
तो फिर भला किस तरह सताए हम उन्हें।
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नहीं है अब कोई जुस्तजू इस दिल में ए सनम,
मेरी पहली और आखिरी आरज़ू बस तुम हो।
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बेवफाई उसकी दिल से मिटा के आया हूँ,
ख़त भी उसके पानी में बहा के आया हूँ,
कोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों को,
इसलिए पानी में भी आग लगा कर आया हूँ
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एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए,
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बेवफाई उसकी दिल से मिटा के आया हूँ,
ख़त भी उसके पानी में बहा के आया हूँ,
कोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों को,
इसलिए पानी में भी आग लगा कर आया हूँ
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एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए,
तू आज भी बेखबर है कल की तरह।
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उस मोड़ से शुरू करनी है फिर से जिंदगी,
जहा सारा शहर अपना था और तुम अजनबी
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मुकम्मल ना सही अधूरा ही रहने दो,
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उस मोड़ से शुरू करनी है फिर से जिंदगी,
जहा सारा शहर अपना था और तुम अजनबी
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मुकम्मल ना सही अधूरा ही रहने दो,
ये इश्क़ है कोई मक़सद तो नहीं है।
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उल्फत में कभि यह हाल होता है,
आंखे हस्ती है मगर दील रोता है,
मानते है हम जिससे मंजिल अपनी,
हमसफ़र उसका कोई और होता
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न जाहिर हुई तुमसे और न ही बयान हुई हमसे,
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उल्फत में कभि यह हाल होता है,
आंखे हस्ती है मगर दील रोता है,
मानते है हम जिससे मंजिल अपनी,
हमसफ़र उसका कोई और होता
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न जाहिर हुई तुमसे और न ही बयान हुई हमसे,
बस सुलझी हुई आँखो में उलझी रही मोहब्बत
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मैं बैठूंगा जरूर महफ़िल में मगर पियूँगा नहीं,
क्योंकि मेरा गम मिटा दे इतनी शराब की औकात नहीं
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लोगों ने रोज ही नया कुछ माँगा खुदा से,
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मैं बैठूंगा जरूर महफ़िल में मगर पियूँगा नहीं,
क्योंकि मेरा गम मिटा दे इतनी शराब की औकात नहीं
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लोगों ने रोज ही नया कुछ माँगा खुदा से,
एक हम ही हैं जो तेरे ख्याल से आगे न गये
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तुम्हें नींद नहीं आती तो कोई और वजह होगी,
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तुम्हें नींद नहीं आती तो कोई और वजह होगी,
अब हर ऐब के लिए कसूरवार इश्क तो नहीं
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जिसको आज मुझमे हजारो गलतिया नजर आती हैं,
कभी उसी ने कहा था तुम जैसे भी हो मेरे हो
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मुझ में लगता है कि मुझ से ज्यादा है वो,
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जिसको आज मुझमे हजारो गलतिया नजर आती हैं,
कभी उसी ने कहा था तुम जैसे भी हो मेरे हो
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मुझ में लगता है कि मुझ से ज्यादा है वो,
खुद से बढ़ कर मुझे रहती है जरुरत उसकी।
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कमाल की मोहब्बत थी मुझसे उसको अचानक,
ही शुरू हुई और बिना बताये ही ख़त्म हो गई
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राज़ खोल देते हैं नाजुक से इशारे अक्सर,
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कमाल की मोहब्बत थी मुझसे उसको अचानक,
ही शुरू हुई और बिना बताये ही ख़त्म हो गई
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राज़ खोल देते हैं नाजुक से इशारे अक्सर,
खामोश मोहब्बत की जुबान होती है।
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मेरी गलती बस यही थी के मैंने हर,
किसी को खुद से ज़्यादा जरुरी समझा
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यही बहुत है कि तुमने पलट के देख लिया,
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मेरी गलती बस यही थी के मैंने हर,
किसी को खुद से ज़्यादा जरुरी समझा
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यही बहुत है कि तुमने पलट के देख लिया,
ये लुत्फ़ भी मेरी उम्मीद से कुछ ज्यादा है।
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हम तुम्हें मुफ़्त में जो मिले हैं,
क़दर ना करना हक़ है तुम्हारा
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लम्हों में क़ैद कर दे जो सदियों की चाहतें,
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हम तुम्हें मुफ़्त में जो मिले हैं,
क़दर ना करना हक़ है तुम्हारा
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लम्हों में क़ैद कर दे जो सदियों की चाहतें,
हसरत रही कि ऐसा कोई अपना तलबगार हो